भारत में अगर कोई सर्वमान्य व्यक्तित्व है तो वह महात्मा कबीर हैं. एक क्षद्म महात्मा भी हुआ जिनका नाम मोहनदास गांधी मेरा सौभाग्य है कि मै उनके विषय में किताबों को पड़ने लायक होने के पहले से ही अपने पितामह जो आजादी के बाद क्षेत्रीय गाँधी आश्रम, मगहर से सम्बंधित थे. उनसे सुनने को मिलता था . मगहर मेरी जन्मभूमि और पैत्रिक निवास है. मैंने बचपन से ही महात्मा कबीर के आदर्शों को महत्व देना सिखा है. पर मेरी जन्म स्थली में गाँधी जीके नाम से एक संसथान खोल कर कबीर के महत्व को खत्म करने कि कोशिश कि गई. की एक निर्णय जो भारत की लोकतंत्र को बदल कर रख दिया और उनके ही भारत कि जनता के सपने के लोकतंत्रिक भारत को जिस व्यक्ति पर उन्होंने सब से ज्यादा भरोसा किया उसने ही एक अघोषित राजतन्त्र में परिवर्तित कर के रख दिया. भारत की यह दुर्गति गाँधी और नेहरु का बहुत योगदान है. इन दोनों व्यक्तियों ने भारत लोकतंत्र का सबसे बड़ा आघात किया और भारत के लोकतंत्र को सबसे बड़ा बाधा पहुचाया, एकके वंशज भारत को अपना साम्राज्य समझ कर उसको छोटे-२ जागीरदारों के साथ मिलकर बाटने के लिए साजिस रचते हैं और क्ष्दम रूप से राजतांत्रिक व्यवस्था चला रहें हैं. भारत में आज पुन:हमें फिर लोकतंत्र की एक किरण दिखी है इस किरण के सहारे हम भारत में व्याप्त राजतांत्रिक व्यवस्था से उपजी अंधकारमय विसंगतियों को भगा कर लोकतंत्र के आदित्य की सास्वत अमर और नश्वर सर्वोच्च व्यवस्था को स्थापित करना है. जय भारत.
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