लोकसभा चुनाव और भविष्य के सभी अन्य चुनाव का मै वहिष्कार करता रहूंगा

इस लोकसभा चुनाव और भविष्य के सभी अन्य चुनाव का मै वहिष्कार करता रहूंगा जबतक नोटा के सम्बंध में जरी प्रेस नोट वापस नहीं लिया जाता और नोटा का सही मतलब जो RP Act में है उसको उस तरह से लागु नहीं किया जारहा. मै देश भर में नोटा को उसके सही भावना के साथ लागु होने तक जन जागरण और जन अभियान चलता रहूंगा. भारत के युवा से अनुरोध है कि नोटा का बटन दबाने के वजाय. वोट न डालें. नोटा एक सभी उम्मीदवारों के लिए नकारात्मक वोट के सिद्धांत पर आधारित हैं. परन्तु निर्वाचन आयोग ने इस सिद्धान्त की मूल भावना और भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय निर्णय को निष्प्रभावी करने के लिए 28 अक्टूबर 2013 को एक प्रेस नोट जारी. जिसके रहते नोटा विकल्प को चयन करने वाले निर्वाचकों की संख्या वोटों की संख्या, सभी उम्मीदवारों में से किसी भी उम्मीदवारों के लिए मिले वोटों की संख्या, किसी भी उम्मीदवार की तुलना में अधिक होने पर भी, सबसे अधिक वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किया जायेगा. परन्तु नोटा एक सभी उम्मीदवारों के लिए नकारात्मक वोट के सिद्धांत पर आधारित हैं. निर्वाचन आयोग का इस प्रेस नोट जरी करने का निर्णय किसी भी भी राजनीतिक दल ने विरोध नहीं किया क्योंकि सभी राजनैतिक दल चाहते ही नहीं थे कि NOTA (नोटा ) आये और उनके निर्वाचक (वोटर) उनके गूण और दोष के आधार पर उनको नकार दे. इसके पहले भी कानून में NOTA का प्रावधान होते हुए उसे वास्तविक ६० वर्ष तक रूप से लागू नहीं होने दिया. अब जब भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय निर्णय दे दिया तो उसके प्रभाव को निष्प्रभावी करने के लिए 28 अक्टूबर 2013 को एक प्रेस नोट No. ECI/PN/48/2013 जारी करना सत्ताधारी United Progressive Alliance (UPA) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की दमनकारी आदेश है और इसमें सभी दुसरे विपक्षी दल भी सहभागी हैं. क्योकि अगर किसी भी दल को इससे एतराज होता तो अब तक इसका बिरोध होता. इसमें demagogue अरविन्द केजरीवाल को भी ऐतराज नहीं है यह बहुत बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण साजिश की बात है.

No comments:

Post a Comment