Wednesday, January 29, 2014

भारत को कांग्रेस मुक्त नहीं आज की जितनी भी पार्टिया है उनसबसे मुक्ति चाहिए

 भारत को कांग्रेस मुक्त नहीं आज की जितनी भी पार्टिया है उनसबसे मुक्ति चाहिए हमें कांग्रेस की सोच नहीं चाहिए हमें भारत के विकास भारत के स्वाभिमान भारत को भ्भ्रष्टाचार मुक्त करना होगा हमें फ़ूड सिक्यूरिटी नहीं हमें हर व्यक्ति बच्चा बुध सबके लिए सोशल सिक्यूरिटी सबको अपने लिए अपने परिवार को पालने खिलाने पढ़ाने सर के ऊपर छत आपातकाल में उचित आपतकालीन सुबीधाएं. स्वाभिमान से कही भी विचरण करने की आजादी.


हमारे गीता कुरान और बाइबिल में जो भी दार्शनिक बाते है वह सही है पर भूखे पेट भजन नहीं होता गाँधी



अशोक और गुरूनानक और उनके गुरु कबीर की सोच शिक्क्षा से हमारे पेट नहीं भरेंगे हम अपनी जिम्मेदारी न निभा पाए और फिर बोले ये देश कृष्ण कबीर और राम का था आप कुश रही आप भारत जैसे पवित्र इतिहास बाले देश में पैदा हुए और अगर नहीं पैदा हुए तो रहते है तो बस अब रहने दो बस अब रहने दो



हमें कांग्रेस की सोच को मिटने में अपनी उर्जा नहीं गवानी सही कहा अगर हम कांग्रेस की सोच गवाने की कोसिस करेंगे तो मिट जायेंगे इस लिए हे भारत के मेरे भाई बंधू आप से कर बद्ध प्रार्थना है की किसी के लिए गढ्ढा मत खोदो अपने लिए रोटी कमाने और अपने बच्चो के लिए पढने ओढने और उनको इस लायक बनाने में अपना टाइम और उर्जा खर्च करो



मुझे अपने भारतीयों भाइयों से बस यही कहना है की कांग्रेस या किसी के प्रति नकारात्मक सोच रखने की जरूरत नहीं है हमें तो सिर्फ अपने लिए अच्छे कर्म और अच्छी सुबिधा जो हमारे टैक्स देने बाले भाई टैक्स दे कर सरकार को देते है उसका उपयोग सही जगह होता है की नहीं वह देखना है . हमें यह देखना है की हमारे द्वारा चुने गए विधायाक संसद सभासद क्षेत्र एवं जिला पंचायत के सदस्य नगर पर्साद ग्राम प्रधान आदि आपने दायित्यों का निर्वाह कर रहे है की नहीं अगर हम इन सभी को अपने प्रति उत्तरदायित्व नहीं बना लेंगे तो हम अपने लिए गढ्ढा नहीं आग के कुएं खोद रहे है



अगर ये लोग सही होंगे तो कार्यपालिका भी अपना कार्य सही दांग से करेगी. 
हे भारत के लोगों हमें राजनीति नहीं करनी हमें हमारा लोकतात्र वापस चाहिए हमें अपने निर्णय लेने की सही आजादी चाहिये



आरटीआई, फूड सिक्योरिटी बिल, पंचायती राज, लोकपाल और आधार सभी योजनाओं का श्रेय लेने से कम नहीं चलेगा इन सभी योजना को पिछलें ५ महीने में ही क्यूँ लाये आप और आरटीआई, जो २००५ में आई उसमे २०१३ जो संसोधन आपने किया उसको करने के बाद आपकी आरटीआई, लाने का भी कोई फायदा नहीं. भारत के इलेक्शन में एक संसद को ४०लाख रूपये खर्च करने की छूट है मुझे सभी बड़ी और पुराणी पार्टिया ये बता दे उनको तो पैसे भी नहीं कर्च करनी चाहिए पूछिए क्यूँ वह इस लिए की आपने कहा की हमने इतना विओकास किया इतना कुछ किया फिर आपकी करनी के हिसाब से आपको तो जीत जाना चाहिए पर नहीं



अगर देश में सुचना तंत्र अच्चा हो तो सिर्फ आपको पोलिंग बूथ पर मशीन राखी होनी चाहिए और लोग अपना वोट दल कर चले जायेंगे पर आपने ६७ साल; में जान भूझ कर नहीं किया अब आप बोलेंग मई तो अभी १० साल से राजनीति में आया हूँ पर आपने कब सोचा की ऐसा हो . रही बात भविष्य की योजनाओं को तो अगर जन सुबिधा और जन सुचना औए सोशल सिक्यूरिटी को रेखांकित प्लान कर के सिर्फ ५ साल में देश को दुनिया के सबसे सम्प्पन देश के बराबर खड़ा किया जा सकता है



किसी भी राजनैतिक पार्टी को नेतृत्व की नहीं इच्छा शक्ति की जरूरत है जनता खुद साथ देगी अगर आप की नियत साफ होगी नेता की रास्ट्रीय सस्तर की पहचान उसके कार्य बनाते है कार्य करिए पहचान बन जाती है . मई अगर अपराधी हूँ और मेरी रास्ट्रीय स्तर की पहचान है तो क्या देश का नेतृत्व कर सकूँगा नहीं इसलिए जब काम करूँगा तो पहचान अपने आप हो जाएगी

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